जय कल्कि जय जगत्पते, पदमापति जय रमापते
!! Jh dfYd Hkxoku !!
!! श्री कल्कि वाणी !!
‘‘हे सृष्टि! तू गौओं से द्रोह करना छोड़ दे वरना तुझे विनाशकारी महाभारत का सामना करना पड़ेगा और धर्म तथा धन दोनों की हानि उठानी पड़ेगी। कल्कि भगवान महाराज गौओं की रक्षा के विरद के साथ घोर विध्वंसकारी रूप में आ रहे हैं। वे सत् युग की स्थापना करेंगे। पृथ्वी देवताओं के बसने के लिए खाली कराई जायेगी। सगुण ब्रह्म कल्कि भगवान का झण्डा लहरायेगा। ब्रह्म बल का बोलबाला होगा। भक्त, भक्ति और भगवान, यह तीन ही संसार में रहेंगे। जो लोग कल्कि देव नाम के नशे में चूर होंगे वह आत्मिक ऐश्वर्य से भरे पूरे होंगे। माद्दा परस्त कूढ़ा-करकट की तरह झाड़ू से बुहारे जायेंगे। इसलिए कल्कि भगवान के स्वागत और सम्मान के लिए कल्कि जी की शरण लो। कलियुग के कर्मों को त्याग कर सत् युग के आचरण को ग्रहण करो। अन्दर व बाहर शुद्ध बनो। कल्कि भगवान के व्यापक स्वरूप की फैलाई लीलाएं संसार में आंधी की तरह आवेंगी और धर्म का अपमान करने वाली दुनिया उनको बर्दास्त न कर सकेगी।’’
‘‘अब तुम मुझे कल्कि नाम से याद किया करो, अब संसार में मेरे कल्कि रूप की नई लीला फैलेगी। कलियुग को नाश करके सत् युग स्थापित करने का मेरा संकल्प है।’’
(गुरूवर बालमुकुन्द जी को स्वप्न अनुभव में प्राप्त भगवान महाविष्णु की आज्ञा)
सारा जगत विष्णु द्रोही बन चुका है। श्री कल्कि सेना (निष्कलंक दल) ने अपनी स्थापना के वर्ष 1993 में प्रथम उद्घोषणा भगवान की इसी आज्ञा से की थी। आज हम इसको पुनः दोहरा रहे हैं। यह एक ऐसी चेतावनी है जिसकी अनदेखी करने पर किसी का भी कल्याण नहीं हो सकता। समस्त धार्मिक जगत से विनती है कि वर्तमान समय की घटनाओं को दृष्टिगत रखते हुए भगवान की आज्ञा का सम्मान करें। भगवान का कल्कि अवतार तो होना ही है, किन्तु यह मानव जाति पर निर्भर करता है कि वह उनका क्रोधित रूप देखना चाहती है अथवा सौम्य रूप। अब हम यह नहीं कह सकते - जैसी हरि इच्छा। अब मानव इच्छा पर सब निर्भर है।
‘‘हे सृष्टि! तू गौओं से द्रोह करना छोड़ दे वरना तुझे विनाशकारी महाभारत का सामना करना पड़ेगा और धर्म तथा धन दोनों की हानि उठानी पड़ेगी। कल्कि भगवान महाराज गौओं की रक्षा के विरद के साथ घोर विध्वंसकारी रूप में आ रहे हैं। वे सत् युग की स्थापना करेंगे। पृथ्वी देवताओं के बसने के लिए खाली कराई जायेगी। सगुण ब्रह्म कल्कि भगवान का झण्डा लहरायेगा। ब्रह्म बल का बोलबाला होगा। भक्त, भक्ति और भगवान, यह तीन ही संसार में रहेंगे। जो लोग कल्कि देव नाम के नशे में चूर होंगे वह आत्मिक ऐश्वर्य से भरे पूरे होंगे। माद्दा परस्त कूढ़ा-करकट की तरह झाड़ू से बुहारे जायेंगे। इसलिए कल्कि भगवान के स्वागत और सम्मान के लिए कल्कि जी की शरण लो। कलियुग के कर्मों को त्याग कर सत् युग के आचरण को ग्रहण करो। अन्दर व बाहर शुद्ध बनो। कल्कि भगवान के व्यापक स्वरूप की फैलाई लीलाएं संसार में आंधी की तरह आवेंगी और धर्म का अपमान करने वाली दुनिया उनको बर्दास्त न कर सकेगी।’’
‘‘अब तुम मुझे कल्कि नाम से याद किया करो, अब संसार में मेरे कल्कि रूप की नई लीला फैलेगी। कलियुग को नाश करके सत् युग स्थापित करने का मेरा संकल्प है।’’
(गुरूवर बालमुकुन्द जी को स्वप्न अनुभव में प्राप्त भगवान महाविष्णु की आज्ञा)
सारा जगत विष्णु द्रोही बन चुका है। श्री कल्कि सेना (निष्कलंक दल) ने अपनी स्थापना के वर्ष 1993 में प्रथम उद्घोषणा भगवान की इसी आज्ञा से की थी। आज हम इसको पुनः दोहरा रहे हैं। यह एक ऐसी चेतावनी है जिसकी अनदेखी करने पर किसी का भी कल्याण नहीं हो सकता। समस्त धार्मिक जगत से विनती है कि वर्तमान समय की घटनाओं को दृष्टिगत रखते हुए भगवान की आज्ञा का सम्मान करें। भगवान का कल्कि अवतार तो होना ही है, किन्तु यह मानव जाति पर निर्भर करता है कि वह उनका क्रोधित रूप देखना चाहती है अथवा सौम्य रूप। अब हम यह नहीं कह सकते - जैसी हरि इच्छा। अब मानव इच्छा पर सब निर्भर है।